कथा-रंग की शुरुआत एक सपने से हुई, एक ऐसी कल्पना से जिसने कहानियों को नए रंगों से सजाने और उन्हें एक नई पीढ़ी तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। यह सपना था नूतन वशिष्ठ जी का, जिन्होंने आकाशवाणी में अपने 33 वर्षों के कार्यकाल के दौरान महसूस किया कि कहानियों का जादू कहीं खो सा गया है। इसी खोए हुए जादू को फिर से जगाने के लिए, उन्होंने 2017 में कथा-रंग की नींव रखी।
कथा-रंग की यह यात्रा अभी जारी है। यह एक छोटे से बीज से विशाल वृक्ष बनने की ओर अग्रसर है। यह यात्रा चुनौतियों से भरी है, लेकिन कथा-रंग की टीम अपने दृढ़ संकल्प और समर्पण के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा लक्ष्य है, कहानियों के इस रंगमंच को सजाते रहना और आने वाली पीढ़ियों तक अपनी साहित्यिक विरासत को पहुंचाना। आइए इस मुहिम से आप भी जुड़ें।
कथारंग का उद्देश्य भाषाओं और बोलियों को संरक्षित करना और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। हम किस्सा-कहानियों के माध्यम से लोगों को उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं। यह मुहिम स्थानीय भाषाओं और बोलियों की धरोहर को संजोने और उनके महत्व को उजागर करने का प्रयास करती है।
कथारंग का उद्देश्य भाषाओं और बोलियों को संरक्षित करना और उन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना है। हम किस्सा-कहानियों के माध्यम से लोगों को उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ते हैं। यह मुहिम स्थानीय भाषाओं और बोलियों की धरोहर को संजोने और उनके महत्व को उजागर करने का प्रयास करती है।
कथा-रंग के माध्यम से, हम न केवल भाषा और संस्कृति का संरक्षण करते हैं, बल्कि उनमें निहित मूल्यों और ज्ञान को भी साझा करते हैं। इस पहल का मकसद है, हमारे सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करना और उन्हें समृद्ध बनाना।